बिहार विधानसभा चुनाव 2025: 71 करोड़ से अधिक की नकदी, शराब, ड्रग्स और कीमती वस्तुएं जब्त — चुनाव आयोग ने दी जानकारी

पटना, 21 अक्टूबर।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण से पहले ही राज्य में अवैध धन, शराब, नशीले पदार्थ और अन्य प्रलोभन सामग्री की बड़े पैमाने पर जब्ती हुई है। निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को जानकारी दी कि अब तक 71.32 करोड़ रुपये मूल्य की नकदी, ड्रग्स, शराब, कीमती धातुएं और अन्य वस्तुएं जब्त की जा चुकी हैं। यह कार्रवाई राज्यभर में तैनात विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों और स्थानीय प्रशासन के संयुक्त प्रयासों से संभव हुई है।
आयोग के अनुसार, ये कार्रवाईयाँ 21 अक्टूबर तक के आंकड़ों पर आधारित हैं और आने वाले दिनों में चुनाव की तारीखें नजदीक आने के साथ निगरानी और सख्त की जाएगी।
824 फ्लाइंग स्क्वाड तैनात — 100 मिनट में निपटाई जा रही शिकायतें
चुनाव आयोग ने बताया कि राज्यभर में 824 फ्लाइंग स्क्वाड सक्रिय किए गए हैं। इन टीमों का दायित्व है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान किसी भी प्रकार की शिकायत का तुरंत निपटारा किया जाए। आयोग ने यह भी कहा कि शिकायतें मिलने के बाद 100 मिनट के भीतर कार्रवाई सुनिश्चित करने की व्यवस्था की गई है, जिससे किसी भी अवैध गतिविधि या आचार संहिता के उल्लंघन को रोका जा सके।
ये टीमें राज्य के प्रत्येक जिले और विधानसभा क्षेत्र में चौबीसों घंटे निगरानी में जुटी हैं। वाहनों की तलाशी, नकदी की आवाजाही पर रोक और शराब की तस्करी की निगरानी में ये दल लगातार कार्रवाई कर रहे हैं।
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर मिलेगी पारदर्शिता: C-Vigil और ECINET से शिकायत संभव
निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं और राजनीतिक दलों से अपील की है कि चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतें वे सीधे C-Vigil मोबाइल ऐप या ECINET डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से दर्ज करा सकते हैं।
इन तकनीकी माध्यमों के जरिए नागरिक स्वयं चुनाव प्रक्रिया की निगरानी में भाग ले सकते हैं। किसी भी संदिग्ध गतिविधि, पैसे या उपहार बांटने, या भड़काऊ भाषण जैसे मामलों की सूचना नागरिक फोटो या वीडियो अपलोड कर दे सकते हैं। आयोग का कहना है कि इससे चुनाव में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित होगी।
2016 से शराबबंदी के बावजूद अवैध शराब की जब्ती बनी चिंता का कारण
बिहार में वर्ष 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है। बावजूद इसके, हर चुनाव के दौरान अवैध शराब की तस्करी और वितरण एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। हाल के दिनों में कई जिलों में पुलिस और आबकारी विभाग ने छापेमारी कर हजारों लीटर शराब जब्त की है।
चुनाव आयोग ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला कारक बताया है। आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “शराब का वितरण मतदाताओं को प्रभावित करने का एक माध्यम बनता जा रहा है। इस पर सख्त कार्रवाई जारी है और दोषियों पर कानूनी कार्यवाही की जा रही है।”
राज्य के सीमावर्ती जिलों में विशेष निगरानी की जा रही है, क्योंकि अधिकांश अवैध शराब पड़ोसी राज्यों से तस्करी के माध्यम से बिहार पहुंचती है।
दो चरणों में होगा मतदान — 14 नवंबर को मतगणना
बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में कराए जाएंगे।
-
पहला चरण: 6 नवंबर 2025
-
दूसरा चरण: 11 नवंबर 2025
इसके बाद 14 नवंबर को मतगणना होगी और उसी दिन से चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे।
चुनाव कार्यक्रम की घोषणा 6 अक्टूबर 2025 को की गई थी। इसके साथ ही राज्य में आचार संहिता लागू हो गई थी, जिसके बाद से सभी राजनीतिक गतिविधियों पर आयोग की निगरानी बढ़ गई है।
अवैध वस्तुओं की जब्ती कैसे होती है?
निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार, जब भी चुनाव का ऐलान होता है, उसी समय राज्य में विभिन्न जांच दल सक्रिय कर दिए जाते हैं।
इनमें शामिल हैं:
-
फ्लाइंग स्क्वाड टीम
-
स्टेट सर्विलेंस टीम
-
एक्सपेंडिचर ऑब्जर्वर यूनिट
-
पुलिस और आबकारी विभाग
-
सीमावर्ती इलाकों में कस्टम और इन्कम टैक्स अधिकारी
ये सभी मिलकर नकदी, ड्रग्स, आभूषण, शराब, कपड़े, मोबाइल या अन्य वस्तुएं जो मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए बांटी जाती हैं, उनकी निगरानी करते हैं।
जनसहयोग से बनेगा निष्पक्ष चुनाव
चुनाव आयोग ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बनाने में जनसहयोग सबसे अहम भूमिका निभाता है। आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा —
“हम चाहते हैं कि हर नागरिक चुनाव प्रक्रिया का प्रहरी बने। अगर किसी को कहीं भी धन, शराब या अन्य वस्तुओं के वितरण की जानकारी मिले तो वह तुरंत C-Vigil ऐप पर सूचना दें। आपकी पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी।”
आयोग का मानना है कि तकनीक और जनसहयोग के माध्यम से ही पैसे और शराब की राजनीति पर लगाम लगाई जा सकती है।
राजनीतिक दलों पर सख्त नजर
चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी राजनीतिक दल या प्रत्याशी को अवैध प्रलोभन या खर्च सीमा का उल्लंघन करते हुए पाया गया, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
इसमें नामांकन रद्द करना, केस दर्ज करना और चुनाव से प्रतिबंधित करना जैसी सजा शामिल हो सकती है।
इसके अलावा, आयोग के खर्च प्रेक्षक लगातार उम्मीदवारों के प्रचार-प्रसार और खर्च पर निगरानी रख रहे हैं ताकि कोई भी प्रत्याशी निर्धारित सीमा से अधिक खर्च न कर सके।
आयोग का उद्देश्य: निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव
निर्वाचन आयोग ने अपने बयान में कहा है कि इन सभी उपायों का मुख्य उद्देश्य चुनाव को स्वच्छ, निष्पक्ष और विश्वसनीय बनाना है।
आयोग का यह भी कहना है कि चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार के डर, दबाव या लालच से मुक्त मतदान कराया जाएगा।
आयोग ने राज्य प्रशासन को निर्देश दिया है कि चुनाव के दौरान सुरक्षा व्यवस्था और लॉ एंड ऑर्डर पर विशेष ध्यान रखा जाए ताकि मतदान शांतिपूर्ण वातावरण में संपन्न हो सके।
चुनावी पारदर्शिता की नई दिशा
डिजिटल तकनीक, सोशल मीडिया निगरानी, और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी के कारण इस बार का बिहार चुनाव पहले की तुलना में अधिक तकनीकी और पारदर्शी नजर आ रहा है।
C-Vigil जैसे ऐप के जरिये हर मतदाता अब “मिनी ऑब्जर्वर” बन गया है — जो अपने फोन से किसी भी गड़बड़ी की जानकारी सीधे आयोग तक पहुंचा सकता है।
आयोग का मानना है कि इस नई व्यवस्था से न केवल भ्रष्ट प्रथाओं पर अंकुश लगेगा, बल्कि लोकतंत्र में जन विश्वास भी मजबूत होगा।
निष्कर्ष
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह राज्य की प्रशासनिक पारदर्शिता और मतदाताओं की जागरूकता की भी परीक्षा है।
71 करोड़ रुपये से अधिक की जब्ती यह दर्शाती है कि आयोग इस बार “फ्री एंड फेयर इलेक्शन” के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।