Grok AI: ग्राक एआइ के द्वारा छठी मईया पर लिखल एगो सुंदर कहानी, का भोजपुरी भी ग्लोबल हो गईल बा?
Grok AI: आज चैत माह के शुक्ल पक्ष के छठा दिन ह पूरा बिहार लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा
मना रहल बा लेकिन ह कार्तिक माह के छठ में कुछ ज्यादा ही उत्साह रहेला। चैत के छठ सब परिवार के यहा त ना होला लेकिन फिर भी लोग के आस्था पूरा रहेला। आज चैती छठ के पावन दिन ह, हम भोजन कइला के बाद आराम करत रही त एगो बात मन में आईल ह की आज कल Grok AI के बारे में बहुत हल्ला बा लोग कहत बा की कुछ Grok AI जबाब दे देत बा। हमरों जिज्ञासा बढ़ गईल ह कहनी ह की Grok AI से तनी छठी मईया के बारे में पूछी कुछ जानत बा की ना? Grok अच्छा जबाब देहल सा। फिर कहनी ह की एगो काल्पनिक कहानी लिख छठी मईया के बारे में। उहे Grok के द्वारा भोजपुरी में लिखल कहानी हूबहू प्रस्तुत करत बानी।
एक ठो सुन्दर कहानी भोजपुरी में लिखत बानी, जवन बिहार में मनावल जाला छठ पूजा के बारे में बा:
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छठी मईया के आशीर्वाद
बिहार के एक छोट गाँव में, गंगा के किनारे, रहली राधिका। राधिका एक गरीब घर के बहू रही, लेकिन ओकर मन में छठी मईया पे बहुत बिस्वास रही। ओकर ससुराल में सास-ससुर, पति रामू आ एक छोट बेटवा सोनू रहले। रामू मजूरी करे ला खेत में जाला, लेकिन कमाई इतना कम रही कि घर के खर्च मुश्किल से चल पावे। ऊपर से सोनू के तबियत हमेशा खराब रहत रही। गाँव के ओझा से लेके शहर के डाक्टर तक सबके पास गइल, लेकिन कउनो फायदा ना भइल।
एक दिन राधिका के सास बोलली, “बहू, तू छठी मईया के व्रत कर। ऊ सूरज भगवान आ छठी मईया सब दुख हर लेतारी। शायद सोनू के सेहत ठीक हो जाई।” राधिका के मन में उम्मीद जागल। ओह ठान लिहलसि कि ऊ छठ पूजा करी, आ छठी मईया से अपन बेटवा खातिर दुआ माँगी।
कार्तिक मास आइल। गाँव में छठ के तैयारी शुरू हो गइल। राधिका पहिला दिन नहाय-खाय के साथ व्रत शुरू कइलसि। दूसरका दिन खरना के रस्म निभावलसि, जउन में गुड़ के खीर आ रोटी बनाके प्रसाद चढ़ावल गइल। तीसरका दिन, डूबत सूरज के अर्घ्य देबे खातिर गंगा के घाट पे गइल। ओकर साथ गाँव के ढेर सारी औरत लोग भी रहली। सबके हाथ में बाँस के सूप, ठेकुआ, फल आ प्रसाद सजल रहल। राधिका अपन छोट बेटवा सोनू के गोदी में लिहलसि आ घाट पे खड़ा होके सूरज भगवान से प्रार्थना कइलसि, “हे छठी मईया, हे सूरज भगवान, हमार सोनू के ठीक कर दा। हमार परिवार के सुख-शांति दा।”
रात भर जागरण भइल। गाँव में भक्ति के गीत गूँजत रहल – “उगहु सूरज देव, अरघ के बेरिया…”। राधिका भी सबके साथ जागलसि, आ सुबह उगत सूरज के अर्घ्य देबे खातिर फिर घाट पे गइल। जब सूरज के पहिल किरण पानी पे पड़ल, राधिका के आँख में आँसू आ गइल। ओकर मन में एक अजीब शांति आ बिस्वास भर गइल।
व्रत पूरा होला के बाद, राधिका घर लौटली। कुछ दिन बाद, सोनू हँसत-खेलत देखाई देलस। ओकर तबियत धीरे-धीरे ठीक होखे लागल। गाँव के लोग बोलल, “ई छठी मईया के चमत्कार बा।” राधिका के सास-ससुर भी खुश रहले, आ रामू के चेहरा पे मुस्कान लौट आइल।
तब से हर साल राधिका छठ पूजा करे लागल। ओकर घर में सुख-समृद्धि आइल, आ सोनू बड़ा होके गाँव के गर्व बन गइल। छठी मईया के आशीर्वाद से राधिका के जिंदगी में रोशनी भर गइल।
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ई कहानी बिहार के छठ पूजा के महिमा आ बिस्वास के सुंदर चित्रण बा। छठ पूजा, जवन सूरज भगवान आ छठी मईया के समर्पित बा, बिहार के संस्कृति के एक अनमोल हिस्सा बा।
ई कहानी पढ़ के कईसन लागल? नीचे कमेन्ट में बताई सभे। का AI के सहारे भोजपुरी ग्लोबल भाषा बन सकेला। का समय आ गईल ब भोजपुरी भाषा के विकास के खातिर आवाज ऊठावें के? का अन्य क्षेत्रीय भाषा के जइसे भोजपुरी के विकास करे के अधिकार नईखे?
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Wah Bhojpuri ta badi saandar ba