Delhi News: 9 महीना बाद फिर बुधवार को लोकसभा में पेश होने जा रहा है वक्फ (संशोधन) विधेयक
Delhi News: सभी दलों से व्यापक विमर्श के बाद कुछ संशोधित कर वक्फ संशोधन विधेयक एक बार फिर 2 अप्रैल बुधवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा । लगभग तय माना जा रहा है कि यह बुधवार को ही पारित हो जाएगा। इस दौरान सदन में भारी हंगामा होने के आसार हैं हालांकि सरकार इसको लेकर पूरी तरह से तैयार है, क्योंकि विपक्ष के कई दल इसके पक्ष में नहीं हैं।
गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के कई वरिष्ठ नेता रहेंगे सदन में मौजूद
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की अध्यक्षता में 2 अप्रैल मंगलवार को सदन की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में इस विधेयक पर आठ घंटे चर्चा के लिए सहमति बनी है, जिसे सदन की भावना के अनुरूप बढ़ाया भी जा सकता है। हालांकि कांग्रेस एवं कई अन्य विपक्षी दलों ने अपनी आवाज दबाने का आरोप लगाते हुए बैठक से बहिर्गमन किया। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत भाजपा के कई वरिष्ठ नेता विधेयक पर चर्चा में हिस्सा ले सकते हैं।
सरकार ने पिछले वर्ष आठ अगस्त को वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया था, लेकिन विपक्ष के विरोध के कारण इसे जगदंबिका पाल के नेतृत्व में बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास विचारार्थ भेज दिया गया था। वक्फ संशोधन विधेयक में जेपीसी ने राजग के सहयोगी दलों द्वारा दिए गए सुझावों को शामिल किया है।
” भाजपा को सहयोगी दल जेडीयू और तेदेपा का मिला साथ “
संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि विधेयक के समर्थन में राजग के सभी दल पूरी तरह एकजुट हैं। यहां तक कि उन्होंने विपक्ष के भी कई सांसदों का समर्थन प्राप्त होने का दावा किया। रिजिजू ने बताया कि 12 बजे प्रश्नकाल समाप्त होने के तुरंत बाद वह विधेयक पेश करेंगे।
हालांकि सत्तारूढ़ राजग के प्रमुख सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) एवं तेलुगु देसम पार्टी (तेदेपा) समेत अन्य पार्टियां भी सरकार के साथ मजबूती से खड़ी हैं और विधेयक के समर्थन में मतदान करेंगी। सदन में सत्ता पक्ष के पास संख्या भी पर्याप्त है। ऐसे में माना जा रहा है कि विधेयक को दोनों सदनों में आसानी से पारित करा लिया जाएगा।
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चंद्रशेखर आजाद समाज पार्टी का मत स्पष्ट नहीं
सदन में सदस्यों की संख्या के हिसाब से राजग के पक्ष में स्पष्ट बहुमत दिख रहा है। लोकसभा में कुल सदस्यों की संख्या अभी 542 है, जबकि एक सीट रिक्त है। सदन में अकेले भाजपा के 240 सदस्य हैं और सहयोगी दलों को मिलाकर कुल 293 सदस्य हैं। जबकि विपक्षी खेमे के सदस्यों की संख्या सिर्फ 237 है। शेष 12 सदस्यों में भी दल और निर्दलीय सदस्य हैं, जिन्होंने अभी तक अपना पक्ष स्पष्ट नहीं किया है। इनमें आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर शामिल हैं।
NDA और उनके सहयोगी पार्टी ने किया सांसदों के लिए व्हिप जारी
सभी सहयोगी दलों ने विधेयक के समर्थन की घोषणा कर दी है और अपने-अपने सांसदों के लिए व्हिप भी जारी कर दिए हैं। जेपीसी ने मूल वक्फ संशोधन विधेयक में कुल 14 बदलावों का सुझाव दिया था, जिन्हें नए संशोधन विधेयक में शामिल कर लिया गया है।
संशोधनों के बाद अब इसे फिर बुधवार को लोकसभा में पेश किया जा रहा है। चूंकि यह सामान्य विधेयक है, इसलिए सत्ता पक्ष को इसे पारित कराने के लिए सदन में उपस्थित सदस्यों के सिर्फ बहुमत की ही जरूरत होगी
3 अप्रैल को राज्यसभा में हो सकता है पेश ।
बुधवार लोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा में विधेयक गुरुवार को पेश किए जाने की संभावना है। उच्च सदन की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में भी इस पर चर्चा के लिए आठ घंटे निर्धारित किए गए हैं। राज्यसभा में वर्तमान में कुल 236 सदस्य हैं। विधेयक पारित कराने के लिए सत्ता पक्ष को कुल 119 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी।
राजग के 125 सदस्य का समर्थन
भाजपा के 98 सदस्य हैं, जबकि सहयोगी दलों के 19 सदस्य हैं। इसके अतिरिक्त छह मनोनीत सदस्य हैं। दो निर्दलीय सदस्यों का भी समर्थन भाजपा के पक्ष में है। इस तरह सत्तापक्ष को कुल 125 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, जो बहुमत से छह ज्यादा हैं। दूसरी ओर विपक्षी खेमे में कांग्रेस के 27 सदस्य हैं और अन्य दलों के 60 सदस्य हैं।
विपक्ष को अभी तक कुल 88 सदस्य
एक निर्दलीय को मिलकर कुल संख्या 88 तक ही पहुंच पा रही है। इसके अतिरिक्त वाईएसआर के सात, बीजद के नौ एवं अन्य छोटे दलों के सात सदस्यों ने अभी अपना पक्ष स्पष्ट नहीं किया है। उधर, कैथोलिक बिशप्स कान्फ्रेंस ऑफ इंडिया के बाद चर्च ऑफ भारत ने भी मंगलवार को विधेयक को अपना समर्थन दे दिया।
प्रमुख प्रस्तावित संशोधन:
1. वक्फ बोर्डों की संरचना में बदलाव: राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना अनिवार्य किया गया है।
2. विवाद समाधान में जिला कलेक्टर की भूमिका: यदि किसी संपत्ति के वक्फ या सरकारी होने पर विवाद होता है, तो जिला कलेक्टर को अंतिम निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है।
3. वक्फ ट्रिब्यूनल की संरचना में परिवर्तन: अब ट्रिब्यूनल में एक जिला न्यायाधीश और संयुक्त सचिव स्तर के राज्य सरकार के अधिकारी शामिल होंगे। इसके अलावा, ट्रिब्यूनल के निर्णयों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी।
विवाद और विरोध:
इन संशोधनों के कारण विभिन्न मुस्लिम संगठनों, विशेषकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), ने विरोध जताया है। उनका मानना है कि यह प्रावधान वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सरकारी हस्तक्षेप बढ़ाएंगे और समुदाय के अधिकारों को प्रभावित करेंगे।
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